- नाम – वासुदेव शरण अग्रवाल
- जन्म तिथि – 7 अगस्त, 1904
- जन्मस्थान – खेड़ा गांव, जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश, भारत
- शिक्षा – एम.ए., एल.एल.बी., पीएच.डी., डी.लिट्
- प्रमुख रचनाएँ – ‘पणिनिकल भारतवर्ष’, ‘मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत’, ‘हर्षचरित-एक सांस्कृतिक अध्ययन’।
- मृत्यु तिथि – 26 जुलाई, 1966
डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का जन्म 7 अगस्त, 1904 को मेरठ जिले के खेड़ा गांव में हुआ था। उनके माता-पिता लखनऊ में रहते थे; इसलिए उनका बचपन लखनऊ में ही बीता। यहीं पर उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा भी प्राप्त की। उन्होंने “बनारस (बनारस) हिंदू विश्वविद्यालय” से एमए किया। ए। की परीक्षा उत्तीर्ण की। “लखनऊ विश्वविद्यालय” ने उन्हें पीएच.डी. की उपाधि से सम्मानित किया। यहीं से उन्होंने डी. लिट की डिग्री भी हासिल की। उन्होंने पाली, संस्कृत, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं और प्राचीन भारतीय संस्कृत और पुरातत्व का गहराई से अध्ययन किया और इन क्षेत्रों में उच्च क्रम के विद्वान माने जाते थे।
डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल से जुड़े अन्य तथ्य। वासुदेवशरण अग्रवाल से जुड़े अन्य तथ्य
1) जब 1920 ई. में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने “असहयोग आंदोलन” की शुरुआत की। उस समय वासुदेवशरण अग्रवाल लखनऊ में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। आंदोलन के प्रभाव के कारण, उन्होंने सरकारी स्कूल छोड़ दिया और खादी के कपड़े पहने।
2) उन्होंने लखनऊ और मथुरा के पुरातत्व संग्रहालय में एक निरीक्षक के रूप में काम किया। वह केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग के निदेशक और दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के अध्यक्ष भी थे।
3) छह साल दिल्ली में रहने के बाद वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ‘भारतीय विद्या संस्थान’ के प्रमुख के रूप में वाराणसी चले गए। 1951 से 1966 तक उन्होंने जीवन भर इस पद पर रहे।
4) पंद्रह साल के इस कार्यकाल में उन्होंने वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, काव्य साहित्य की रचना की। उन्हें अपने क्षेत्र में युग का निर्माता माना जाता है। इन विषयों पर उन्होंने खुदरा निबंधों के अलावा हिंदी में लगभग 36 और अंग्रेजी में 23 ग्रंथ लिखे।
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डॉ वासुदेवशरण अग्रवाल की रचनाएँ
- पुस्तक आधारित आलोचनात्मक अध्ययन
- मेघदूत: एक अध्ययन – 1953
- हर्षचरित: एक सांस्कृतिक अध्ययन – 1953
- पाणिनि युग भारत – 1955
- पद्मावत (मूल और संजीवनी व्याख्या) – 1955
- कादंबरी: एक सांस्कृतिक अध्ययन – 1957
- मार्कंडेय पुराण: एक सांस्कृतिक अध्ययन – 1961
- कीर्तिलता (ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अध्ययन और संजीवनी व्याख्या सहित) – 1962
- भारत सावित्री (संक्षेप में महत्वपूर्ण टिप्पणियों के साथ आलोचनात्मक संस्करण के पाठ पर आधारित महाभारत की कहानी) – तीन खंडों में – 1957, 1964, 1968
- स्वतंत्र विषयगत ग्रंथ – भारत की मौलिक एकता, भारतीय कला (शुरुआती युग से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक) आदि।
- विभिन्न विषयों पर निबंध संग्रह – पृथ्वी-पुत्र, उरु-ज्योति, कल्पवृक्ष, मातृभूमि, कला और संस्कृति, इतिहास-दर्शन, भारतीय धर्मशास्त्र आदि।
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अंग्रेजी में प्रकाशित
- वैदिक व्याख्यान
- लंबे अंधेरे में दृष्टि
- सृष्टि का भजन (नासदिया सूक्त)
- हर्ष के कर्म
- भारतीय कला
- भारत – एक राष्ट्र
- मथुरा मूर्तिकला की उत्कृष्ट कृतियाँ
- प्राचीन भारतीय लोक पंथ
- हिंदू मंदिर का विकास और अन्य निबंध
- एक संग्रहालय अध्ययन
- वाराणसी सील और सीलिंग
वासुदेवशरण अग्रवाल की मृत्यु
26 जुलाई 1966 को वासुदेवशरण अग्रवाल का निधन हो गया। पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल हिंदी साहित्य में एक विद्वान और संतुलित निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। पुरातत्व और अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी समानता खोजना बहुत कठिन है। उन्हें एक विद्वान टिप्पणीकार और साहित्यिक ग्रंथों के कुशल संपादक के रूप में भी जाना जाता है। उनकी कार्यप्रणाली की मौलिकता और विचारशीलता के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
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साहित्यिक उपलब्धियां
भारतीय संस्कृति और पुरातत्व के विद्वान वासुदेवशरण अग्रवाल का जन्म 6 अगस्त 1904 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, एम.ए., पीएच.डी. और डी. लिट. उपलब्ध है कि उन्होंने इसे लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त किया है। उन्होंने पाली, संस्कृत और अंग्रेजी जैसी भाषाओं और उनके साहित्य का गहन अध्ययन किया। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भारती महाविद्यालय में पुरातत्व और प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष थे। वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली के अध्यक्ष थे। हिंदी के इस महान व्यक्तित्व का निधन वर्ष 1967 में हुआ था।
डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल साहित्यिक सेवाएं
उन्होंने कई ग्रंथों का संपादन और संपादन भी किया। उन्होंने जायसी के ‘पद्मावत’ की संजीवनी व्याख्या और बाणभट्ट के हर्ष चरित्र का सांस्कृतिक अध्ययन प्रस्तुत करके हिंदी साहित्य का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने आधुनिक दृष्टिकोण से प्राचीन महापुरुषों – श्रीकृष्ण, वाल्मीकि, मनु आदि का बुद्धिमान चित्रण प्रस्तुत किया।
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वासुदेव शरण अग्रवाल की रचना
डॉ. अग्रवाल ने निबंध लेखन, शोध एवं संपादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनकी प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं।
1. निबंध संग्रह – पृथ्वी पुत्र, कल्पलता, कला और संस्कृति, कल्पवृक्ष, भारत की एकता, मातृभूमि, वाग्धारा आदि।
2. अनुसंधान – पाणिनिकाल
3. संपादन – जायसी की पद्मावत की संजीवनी व्याख्या, बाणभट्ट के हर्ष चरित्र का सांस्कृतिक अध्ययन। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत, पाली और प्राकृत के कई ग्रंथों का संपादन भी किया।
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